जब एक ज्ञानी हिंदू को एक लिबरल ने
मानवता का पाठ पढाया
तो हिंदू फरमाया
की मेरे लिबरल भाया
अपनी औकात न भूल
तेरे जैसे तो उस पानी के गिलास की तरह है
जो समंदर से पूछ रहा हो
"तू जानता ही क्या है मेरे बारे में?"
तो मेरे लिबरल भाया, अपनी औकात मे रह
बचकानी बाते ना कर
मैं तो हूं विशाल बोधीवृक्ष
और तू सिर्फ मोह माया.
-~-~-~-~-~-~-~-~
© मंदार दिलीप जोशी
मानवता का पाठ पढाया
तो हिंदू फरमाया
की मेरे लिबरल भाया
अपनी औकात न भूल
तेरे जैसे तो उस पानी के गिलास की तरह है
जो समंदर से पूछ रहा हो
"तू जानता ही क्या है मेरे बारे में?"
तो मेरे लिबरल भाया, अपनी औकात मे रह
बचकानी बाते ना कर
मैं तो हूं विशाल बोधीवृक्ष
और तू सिर्फ मोह माया.
-~-~-~-~-~-~-~-~
© मंदार दिलीप जोशी
Sahi...
ReplyDelete