कॉम्रेड प्रकाश रेड्डी ने कुछ समय पहले पोस्ट किया है कि कॉम्रेड बाबूराव शेलार का नाम वो जिस चाल में रहते हैं वहीं पास के किसी रास्ते को दिया गया है । उस समय उनके घर पर एक छोटा सा रिसेप्शन रहा होगा यह फोटो तब कें हैं।
अब सोशल डिस्टेंसिंग, कई लोगों के चेहरे पर मास्क न होना आदि छोटी-छोटी बातों को छोडिये। मजेदार बात अलग है।
प्रतिमा और पूजा रॉय इन दो बहनों को नासा में इंटर्नशिप के लिए चुना गया था। नासा ने उनकी फोटो सांझा करने की देर थी कि लड़कियां इतनी पढ़ी-लिखी होने के बाद भी अपने माथे पर क्या टिकी लगाती हैं और देवीदेवताओ की मूर्तियाँ या चित्र क्यूं रखती हैं आदि लिखकर उन्हें भारी मात्रा में ट्रोल किया गया।
परंतु वो भगवान पर विश्वास करती हैं तो ऐसा करना स्वाभाविक है। परंतु आदीवामपंथी मार्क्सबाबा कहकर गये हैं कि Religion is the opium of the masses (रिलिजियन अफीम की गोली है), तो आपके दो कॉम्रेडों में से एक के माथे पर तिलक एवं दूसरे के घर में देवी-देवताओं के चित्र कैसे दिखाई देते है? ये तो कुछ भी नहीं! महाराष्ट्र में एक स्वामीजी थे स्वामी समर्थ; तो जिस लकडी के फलक पर देवीदेवताओं के चित्र रखे हैं उसके बायीं ओर "असंभव को संभव करेंगे स्वामी" एवं नीचे "डरो मत, हम तुम्हारे साथ है" ये उनके भक्तीपर वचन लिखे गये हैं!! अपने मूल भूलना सहज नहीं होता। इसे निधर्मी वामपंथ की हार एवं आस्तिकता का विजय ही मानना पडेगा।
तो लिब्रंडूओं और वामीयों, आप उन्हें विचारधारा के प्रति निष्ठावान न होने के कारण कुछ सीख नहीं देंगे? क्या आप उन्हें कुछ नहीं कहेंगे? देखिए, नीचे कॉम्रेड प्रकाश रेड्डी के पोस्ट की लिंक है। खुला प्रस्ताव, आप को कॉम्रेड को सुधारना ही होगा! कॉम्रेड प्रकाश रेड्डी के पोस्ट की लिंक यह रही — https://www.facebook.com/prakash.reddy/posts/10225535914535407
जाते जाते: कल एक फोटो देखी थी जिसमें साम्यवादी व्यवसायिक क्रांतीकारक चे ग्वेरा की एक बड़ी तस्वीर कूड़ेदान में फेंकी दिखाई देती है, वैसे ही बाबूराव के परिवारने जिस प्रकार घर में पूजापाठ कर के उनकी विचारधारा का कचरा कर दिया है उसी प्रकार उनके घर का कूड़ेदान यदि दिखाई दिया तो उसमें किस किस के फोटो मिलने की संभावना है ये सोचकर और हसीं आ रही है।
© मंदार दिलीप जोशी
आषाढ शु. ७, विवस्वत सप्तमी