Wednesday, February 21, 2018

कोमलप्रीत कौर - एक सक्षम महिला



कोमलप्रीत कौर इस नाम से क्या आप परिचित है? नहीं?

चलिये ठीक है, गुरमेहर कौर यह नाम तो आपको ज्ञात होगा ?  महिला सक्षमीकरण इस संज्ञा से भी आप अवश्य परिचित . वामपंथीयों तथा पोषित मिडिया एवं स्वयं गुरमेहर कौर की माने तो वह सोशल मिडिया के ट्रोल्स से 'लडने' के बाद  एक अत्यधिक 'सक्षम महिला' के रूप में खडी है. इस लडाई को लडकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का झंडा फडकता हुआ रखने का श्रेय ले चुकी मिडिया की लाडली बच्ची गुरमेहर कौर का सबको स्मरण है और उसे महिला सक्षमीकरण के उदाहरण के तौर पर हमारे सामने अनगिनत बार नचाया जाता है.

अब आपको बतलाता हूं कोमलप्रीत कौर कौन है. कोमलप्रीत कौर कारगिल के युद्ध के हुतात्मा सिपाही बूटा सिंग की बेटी है. गरिबी से झगडते हुए कोमलप्रीतने अपनी पढाई पूरी की, पंजाब मेडिकल एन्ट्रन्स एग्झाम में अव्वल नंबरों से उत्तिर्ण हुई, और अब एम.बी.बी.एस.की शिक्षा ले रही वास्तविक रूप में सक्षम लडकी है कोमलप्रीत.

केवल बीस साल कि आयु में सेना में दाखिल हुए कोमल के पिता बूटा सिंगने जब कारगिल में लडते लडते अपनी जान देश के लिये न्योछावर कर दी, तब वे केवल छब्बीस वर्ष के थे. वे पीछे छोड गये अपनी केवल चार महीने की बेटी कोमलप्रीत एवं केवल बीस वर्ष की पत्नी अमृतपाल कौर को. केवल दो बार दो महिनों के छुट्टी पर आये अपने पती बूटा सिंग की अमृतपाल कौरजी के मन में केवल कुल चार महिनों की स्मृतियां हैं. अपने पती के इस जग से चले जाने के दुख को अपने मन मे रख अमृतपाल कौरजीने अपनी बेटी के भरणपोषण एवं शिक्षा पर ध्यान देने का निश्चय किया, जिसके फलस्वरूप आज कोमलप्रीत आज एक चिकित्सक (डॉक्टर) होने के पथ पर अग्रेसर है.

परंतु आज कोमलप्रीत को कोई नहीं जानता. क्योंकि कोमलने अपने हाल के लिये न तो युद्ध को उत्तरदायी ठहराया, न वो अभिव्यक्ती की स्वतंत्रता का झंडा उठाकर नाची. न उसने सोशल मिडिया पर रोनाधोना किया. आज कोमलप्रीत अपनी मां के एवं स्वयं अपने कष्टों के आधार पर एक डॉक्टर होने की राह पर है,

जिंदगी की लडाई, संघर्षपूर्ण जीवन यह शब्द आजकल बहुत सस्ते हो गये है, क्योंकि आजकल मिडिया तथा वामपंथी कुबुद्धीवादीयों ने सोशल मिडिया पर ट्रोल्स से लडना इस बात को ग्लॅमर एवं महत्त्वपूर्ण बना दिया है जैसे कुछ अक्षर टाईप करना या किसी को म्युट या ब्लॉक करना यह कोई शौर्य का प्रतीक हो. परंतु जिंदगी की लडाई, जीवन का संघर्ष इन्हीं शब्दों का जीवित उदाहरण है कोमलप्रीत का जन्म से लेकर आजतक का जीवन.

गरिबीसे उभरकर परंतु किसी घातक विचारधारा की कठपुतली न बनकर जीवन में यशस्विता प्राप्त करनेवाले किसी के प्रति न तो आजकलके मिडीया एवं वामपंथीयों को कोई ममत्व है न भूतकाल में कभी था.

काँग्रेसने उनके खडे किये गये पोषक व्यवस्था का यही वैशिष्ट्य है कि जहां आज गुरमेहर जैसी जोकरछाप अपरिपक्व व्यक्ती को आज लोगों के सामने आदर्श व्यक्तिमत्व के रूप में देश के सामने प्रस्तुत किया जाता है, वहीं कोमलप्रीत कौर जैसे सही मायने में सक्षम महिलाओं को गुमनामी के अंधेरे मे रखा जाता है.

ऐसी सक्षम कोमलप्रीत कौर को आगे की मेडीकल शिक्षा के लिये अनेक शुभकामनाएं एवं उनकी माताजी अमृतपालजी को शत शत नमन.

© मंदार दिलीप जोशी
फाल्गुन शु. ६, शके १९३९

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